रिटायरमेंट प्लानिंग विशिष्ट (SPECIAL) कैसे बनाएं

जब व्यक्ति का जन्म होता है तभी निश्चित हो जाता है कि इस व्यक्ति का रिटायरमेंट इस तिथि को होगा। इसको ऐसे भी समझा जा सकता है कि जब किसी युवा/युवती की जॉब लगती है, तभी उसे यह पता चल जाता है कि मेरा रिटायरमेंट अमुक तिथि पर होगा। रिटायरमेंट केवल नौकरी करने वाले का ही नहीं होता है, बल्कि हर उस व्यक्ति का होता है जो रोजगार से मुक्त हो जाता है, अर्थात व्यक्ति आगे व्यवसाय/जॉब करने में असमर्थ हो जाता है।

रिटायरमेंट प्लानिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपनी आने वाली ज़िन्दगी को खूबसूरत तरीके से जीने के लिए धन जमा करते हैं, ताकि जब अपना व्यवसाय/जॉब करना बंद करें, तब अपनी वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिए किसी और पर निर्भर न होना पड़े। रिटायरमेंट प्लानिंग करते वक्त कुछ ज़रूरी स्टेप्स हैं जो हमेशा ध्यान में रखने चाहिए:

1- रिटायरमेंट गोल डिफाइन करें

  • स्वयं के लिए प्लान बनाएं: आपको अपनी रिटायरमेंट के बाद किस तरह का लाइफस्टाइल चाहिए, जैसे कि यात्रा, शौक, परिवार के साथ समय, धार्मिक क्रियाएँ या फिर किसी सामाजिक काम में शामिल होना।
  • खर्चों का अनुमान लगाएं: आपको रिटायरमेंट के बाद हर महीने किस राशि की ज़रूरत होगी जिससे आपके घर का दैनिक खर्च, स्वास्थ्य खर्च, धार्मिक और अन्य दैनिक आवश्यकताएं शामिल हों।

2- वर्तमान वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन (आकलन) करें

  • वर्तमान बचत: आपके पास वर्तमान में कितनी बचत है।
  • आय और खर्च: आपकी नियमित मासिक आय और मासिक खर्च का संतुलन सही है ताकि किसी प्रकार की असुविधा न हो।
  • कर्ज़: यदि आप पर किसी प्रकार का कोई कर्ज़ है जिसे आपको रिटायरमेंट से पहले चुका सकते हैं अथवा रिटायरमेंट के बाद कर्ज की EMI कैसे भुगतान करेंगे।

3- निवेश विकल्पों का चयन करेंनिवेश विकल्पों का चयन करें

  • रिटायरमेंट फंड्स: वर्तमान में रिटायरमेंट से संबंधित निवेश हेतु बहुत सारी बचत योजनाएँ हैं, जिनके द्वारा आपको रिटायरमेंट पर एक अच्छा कोर्पस बन जाता है जिससे आपको नियमित रूप से मासिक आय का साधन उपलब्ध हो जाता है। विशेषतः रिटायरमेंट फंड हेतु ऐसे अकाउंट्स में पैसा निवेश करना चाहिए, जैसे PPF (पब्लिक प्रोविडेंट फंड), EPF (एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड), NPS (नेशनल पेंशन स्कीम), एन्न्युइटी जमा योजना आदि।
  • म्यूचुअल फंड्स: लॉन्ग-टर्म कैपिटल एप्रिसिएशन के लिए म्यूचुअल फंड्स भी बहुत अच्छा  विकल्प हैं। जिसमें आप SIP (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के माध्यम से अपनी रिटायरमेंट के लिए फंड्स को नियमित रूप से निवेश कर सकते हैं जो एक बहुत अच्छा विकल्प है।
  • स्टॉक्स: आप स्टॉक्स में भी निवेश कर सकते हैं, लेकिन यह उन ही व्यक्तियों के लिए अच्छा विकल्प है जो जोखिम ले सकते हैं। शेयर बाजार की जानकारी होने पर आप रिटायरमेंट के समय के करीब सुरक्षित निवेश के लिए अच्छा विकल्प है।
  • रियल एस्टेट: अगर आपके पास अतिरिक्त फंड्स हैं, तो रियल एस्टेट भी निवेश का अच्छा विकल्प है।
  • SOVEREIGN Gold Bonds: स्वर्ण में निवेश करने का यह एक अच्छा माध्यम है, जो भारतीय रिजर्व  बैंक द्वारा जारी Sovereign Gold Bonds के माध्यम से होता है। यह 7 वर्षीय बॉन्ड के रूप में जारी होता है। इन बॉंड्स पर लंबी अवधि के निवेश के साथ 2.5% की दर से अर्धवार्षिक ब्याज भी मिलता है, जो सीधे आपके खाते में जमा होता है।

4- अपेक्षित रिटायरमेंट आयु और रिटायरमेंट कॉर्पस का आकलन

  • रिटायरमेंट आयु: सामान्यतः रिटायरमेंट की आयु 60 वर्ष की मानी जाती है। कुछ संस्थानों में रिटायरमेंट की आयु 58 वर्ष, 62 वर्ष, 65 वर्ष भी होती है। लेकिन आप किसी भी संस्थान से कभी भी स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले सकते हैं। आप कितने साल की उम्र में रिटायर होना चाहेंगे? अधिकांश लोग 60 या 65 साल की उम्र में रिटायर होने की योजना बनाते हैं।
  • रिटायरमेंट कॉर्पस: रिटायरमेंट के बाद आपको कितने पैसे की आवश्यकता होगी, इसकी गणना आप मासिक खर्चों को और बढ़ती महंगाई एवं भविष्य में होने वाले बड़े खर्चों को ध्यान में रखते हुए एक अनुमानित कॉर्पस तैयार करें।

5- रिटायरमेंट निवेश की नियमित समीक्षा करें

  • अपनी निवेशित फंड्स की योजनाओं को पुनः आकलन करें: रिटायरमेंट प्लानिंग एक जारी प्रक्रिया है। आपको अपनी निवेश और बचत रणनीतियों की नियमित रूप से समीक्षा करते रहना चाहिए ताकि निवेश में किसी प्रकार का नुकसान न हो और निवेश की वृद्धि में रुकावट न आए।
  • महंगाई पर अवश्य ध्यान दें: महंगाई बढ़ने से रुपये का अवमूल्यन होता है जिससे हमारे खर्चे बढ़ते हैं, इसलिए आपको अपनी निवेश रिटर्न्स को भी उसी हिसाब से निवेश कॉर्पस को एडजस्ट करना होगा।

6- टैक्स प्लानिंग

  • टैक्स-सेविंग निवेश: आपको अपने निवेश को ऐसी योजनाओं में निवेश करना चाहिए ताकि टैक्स बच सके। अपनी रिटायरमेंट सेविंग्स पर टैक्स बचाने के लिए आयकर अधिनियम के सेक्शन 80C जैसे विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं (जैसे EPF, PPF, ELSS फंड्स, NPS, Life Insurance policy आदि)।
  • टैक्स-फ्री आय के स्रोत: आप हमेशा ऐसे निवेश विकल्पों का चयन करें, जिनमें आपको रिटायरमेंट के बाद टैक्स-फ्री कॉर्पस मिले, जैसे कि EPF, PPF या एन्न्युइटी प्लान्स, Life Insurance policy आदि। Sovereign Gold Bonds की मैच्योरिटी पर प्राप्त राशि लंबी अवधि के पूंजी लाभ (Long Term Capital Gain) के अंतर्गत करमुक्त है।

7- आपातकालीन कोष और बीमा

  • आपातकालीन कोष: आपको हमेशा आपातकालीन (Emergency) फंड्स अवश्य रखना चाहिए जिससे रिटायरमेंट के बाद अचानक होने वाले खर्चों को निपटाया जा सके।
  • स्वास्थ्य बीमा: प्रतिदिन स्वास्थ्य पर बढ़ते खर्चों को देखते हुए प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य बीमा अवश्य कराना चाहिए ताकि रिटायरमेंट कॉर्पस में कमी न हो। इसलिए स्वास्थ्य बीमा भी आवश्यक है।

8- वित्तीय सलाहकार

प्रत्येक व्यक्ति को अपना रिटायरमेंट निवेश पोर्टफोलियो बेहतर बनाना चाहिए इसके लिए। यदि आपको अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग तैयार करने में कोई संदेह हो, तो आप एक अच्छे वित्तीय सलाहकार की मदद ले सकते हैं जो आपकी आवश्यकताओं के अनुरूप आपको सबसे अच्छे निवेश और बचत रणनीतियों के बारे में सही सलाह दे सके और आपकी रिटायरमेंट प्लानिंग को विशिष्ट बना सके।

उदाहरण समझें (Example): यदि आपका मासिक खर्च ₹50,000 है और आप 60 साल की उम्र में रिटायर करना चाहते हैं, तो आपको महंगाई और स्वास्थ्य खर्चों को ध्यान में रखते हुए कम से कम ₹4-5 करोड़ का कॉर्पस बनाना होगा।

रिटायरमेंट के बाद के जीवन को शानदार बनाना है तो आप अपनी वित्तीय आदतों, निवेशों, और गोल्स के हिसाब से कस्टमाइज़ करें। सबसे ज़रूरी बात यह है कि आप आज ही शुरू करें बल्कि अभी शुरू करें और अपने गोल्स को प्राप्त करने का प्रयास करें।

आपकी रिटायरमेंट लाइफ सुखमय हो।

निवेश से संबंधित अधिक जानकारी के लिए कृपया NiveshGuruMantra.com को देखें।

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